दक्षिणावर्ती शंख के लाभ (Dakshinavarti Shankh Benefit): किसी भी आध्यात्मिक तथा वैदिक कार्यों में शंख की पूजा अवश्य ही की जाती है। समान्यता जितने भी शंख पाए जाते है, वे आधिकतर बाई तरफ से खुलने वाले होते है, लेकिन जो शंख दाई तरफ खुलता है, उसे ही “दक्षिणावर्ती शंख” कहा जाता है, यह शंख समुंद्र की सिंदूर गहराइयों में पाया जाता है।
Dakshinavarti Shankh (Big), Valampuri Sangu By Timeshopee
शास्त्रों में दक्षिणावर्ती शंख को भगवान नारायण का स्वरूप माना गया है, क्योकि यह देवी लक्ष्मी तथा भगवान विष्णु का प्रिय शंख है, माँ लक्ष्मी, माँ दुर्गा तथा भगवान विष्णु के हाथ में दक्षिणावर्ती शंख होता है, ऐसा माना जाता है, की जहां दक्षिणावर्ती शंख होता है, वहां माता लक्ष्मी, भगवान विष्णु तथा माता दुर्गा साक्षात् विराजमान होती है।
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नोट: दक्षिणावर्ती शंख (Dakshinavarti Shankh Benefit) बजने के काम नहीं आता, इस शंख को महालक्ष्मी स्वरूप मानकर पूजा की जाती है।
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दक्षिणावर्ती शंख के प्रकार:
भारत में दक्षिणावर्ती शंख (Dakshinavarti Shankh Benefit) दो प्रकार के पाये जाते हैं।
- नर दक्षिणावर्ती शंख: जिस शंख की परत मोटी तथा भारी होती होती है, वह शंख नर दक्षिणावर्ती शंख कहलाता है।
- मादा दक्षिणावर्ती शंख: जिस शंख कि परत छुने में पतली तथा हल्की होती है, वह शंख मादा दक्षिणावर्ती शंख कहलाताहै।
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सिद्ध दक्षिणावर्ती शंख:
दक्षिणावर्ती शंख (Dakshinavarti Shankh Benefit) हर जगह आसानी से मिल जाती है, पर वह प्राण-प्रतिष्ठित नही होते, कुछ लोगो सोचते है, की शंख को कच्चे दूध में धोने से शंखप्राण-प्रतिष्ठित हो जाता है, पर ऐसा नही है, सभी यंत्र, माला शंख और पूजा वस्तुओं को प्राण प्रतिष्ठित करने का अपना-अपना विधान है,
दक्षिणावर्ती शंख (Dakshinavarti Shankh Benefit) को महालक्ष्मी के बीज मंत्रो से सम्पुटित, श्री सूक्त विधान से प्राण-प्रतिष्ठित किया जाता है, फिर इस शंख पर लक्ष्मी बीज मंत्रो का जाप होता है, तब जाकर यह शंख सिद्ध होता है।
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जब भी उपयोग किया जाए तो, प्राण-प्रतिष्ठित दक्षिणावर्ती शंख (Dakshinavarti Shankh Benefit) का प्रयोग की करना चाहियें, तभी उस शंख का पूर्ण लाभ मिलता है, अन्यथा नही।
नकली दक्षिणावर्ती शंख:
मार्किट में बहुत से दक्षिणावर्ती शंख (Dakshinavarti Shankh Benefit) नकली आते है जो की कैल्सियम से बने होते है, इसलिए शंख कही से भी ले पर विश्वसनीय संस्थान से ले, जो आपको सही शंख प्रदान करे, असली शंख मेहंगा हो सकता है, पर उसके लाभ बहुत है, अच्छे दक्षिणावर्ती शंख (Dakshinavarti Shankh Benefit) गुजरात, श्री लंका, इण्डोनेशिया में पाया जाता है, इस शंख का लक्ष्मी शंख कहा जाता है।
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दक्षिणावर्ती शंख/Dakshinavarti Shankh Benefits के लाभ:
हिन्दू धर्म शास्त्र अनुसार जिस मनुष्य के घर में दक्षिणावर्ती शंख (Dakshinavarti Shankh Benefit) की स्थापना होती है, वहा सदा के लिए माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है, जिससे उसके घर में धन-संपत्ति, सुख-समृद्धि का वास सदा के लिए बना रहता है।
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वास्तु के अनुसार दक्षिणावर्ती शंख (Dakshinavarti Shankh Benefit) को यदि पूर्ण विधि-विधान के साथ पूजा कर, लाल कपड़े में लपेटकर अपने घर में रखे तो, धन में कमी, बाँझपन, दरिद्रता, तथा वास्तु- दोष जैसी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है।
दक्षिणावर्ती शंख (Dakshinavarti Shankh Benefit) को यदि घर के मंदिर स्थापित करदे तो, घर पर किसी भी प्रकार का जादू टोना काम नही करता, घर पूरी तरह से सुरक्षित रहता है।
दक्षिणावर्ती शंख की पूजा:
हिन्दू शास्त्रों में दक्षिणावर्ती शंख (Dakshinavarti Shankh Benefit) को माँ लक्ष्मी का स्वरूप कहा गयाहै, इस शंख की स्थापना के लिए सोमवार या गुरुवार के दिन, सिद्ध दक्षिणावर्ती शंख को घर में स्थापित करने से पहले, इसका शुद्धिकरण करना चाहियें, इसके लिए शंख को लाल कपड़े पर रख कर शंक को पंचामृत, गंगाजल, दूध, धुप दीप, आदि से पूजा कर, निम्नलिखित मंत्र का 108 बार मंत्र जप करे।
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।। ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्ध लक्ष्यमयें नमः ।।
ऐसा करने से यह दक्षिणावर्ती शंख (Dakshinavarti Shankh Benefit) एक्टिव हो जायेगा और आपको पूर्ण लाभ देने लगेगा।