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नीलम रत्न के लाभ/Blue Sapphire Gemstone Benefits
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नीलम रत्न के लाभ/Blue Sapphire Gemstone Benefits

नीलम रत्न के लाभ (Blue Sapphire Gemstone Benefits): नीलम रत्न  शनिदेव का प्रधान रत्न है, इसे संस्कृत में इन्द्रनीलमणि, हिन्दी में नीलम और अंग्रेजी में ब्लू सेफायर Blue Sapphire कहते हैं। अधितकतर नीलम हिमालय, विन्ध्य आबू पर्वतों के आंचल में, लंका, काबुल, जावा आदि देशो में पाए जाते है।

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नीलम रत्न की पहचान:

यह नीलम रत्न स्पष्ट पारदर्शी होता है।

इसका रंग नीला होता है, परन्तु मोर पंख के रंग का नीलम सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

यह चमकीला होता है इसमें पतली-पतली नीली किरणें-सी निकलती दिखाई देती हैं।

यह कठोर और चिकना होता है।

इसका पानी श्रेष्ठ होता है तथा इसके कोण सुडौल होते हैं।

नीलम पानी में डाल दिया जाए तो, पानी में से नीली किरणें निकलती दिखाई देती हैं।

दूध में नीलम रख दिया जाय, तो दूध का रंग नीला हो जाता है।

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नीलम रत्न के लाभ (Blue Sapphire Gemstone Benefits):

नीलम रत्न  धारण करने से शनि ग्रह का दुषप्रभाव समाप्त हो जाता है, उसके धन का नुकसान होना बंद हो जाता है, उसके काम बनने लगते है, वह शीघ्र धन की दृष्टि से सम्पन्न बन जाता है, इस रत्न के धारण करने से आँखों के रोग, धुन्ध, जाला, मोतिया बिंद, आदि रोग शीघ्र समाप्त हो जाते है।

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नीलम का प्रभाव (Blue Sapphire Gemstone Benefits):

समस्त रत्नों में नीलम  ही एक ऐसा रत्न है, जो शीघ्र ही कुछ ही घंटो में अपना असर दिखाता है, इस नीलम रत्न  को धारण करने से पूर्व इसे रात को अपने सिरहाने रख कर परीक्षण कर ले, निम्न में से कुछ होता है, तो नीलम रत्न धारण न करे।

रात को यदि भयावने और बुरे स्वप्न आने लगें, तो नीलम न पहने।

रात्रि को नीलम सिरहाने रखने के बाद आँखों में दर्द होने लगे, तो नीलम नही पहनें।

या रखने के बाद घबराहट होने लगे, नींद नही आये तो, नीलम रत्न नही धारण करे।

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नीलम के दोष (Blue Sapphire Gemstone Benefits):

नीलम में कई दोष होते है, पर साफ, चमकदार, सुन्दर और चिकना नीलम ही लेकर धारण करे, निम्न में से कोई एक दोष अगर नीलम में पाया जाता है, तो वह लाभ की जगह हानि देने वाला होता है।

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सफेद : यदि नीलम में सफेद लाइन दिखाई दे, तो वह नीलम शस्त्र से मृत्यु कराता है।

दुधिया : दूधिए रंग का नीलम कुल-लक्ष्मी का नाश करने वाला माना गया है।

चीरी : जिस नीलम में कोई चीरी या क्रास दिखाई दे, तो वह नीलम दरिद्रता बढ़ाता है।

दुरंगा : दो रंगों वाला नीलम संतान तथा पत्नी पक्ष के लिए घातक है।

जाल : यदि नीलम में जाल हो, तो वह नीलम रोगवर्धक होता है।

खड्डा : खड्डे वाला नीलम शत्रु-भय को बढ़ाने वाला माना गया है।

सुन्न : बिना चमक का नीलम सुन्न कहलाता है। ऐसा नीलम प्रिय बन्धुओं का नाश करता है।

धब्बे : जिस नीलम में सफेद छोटे-छोटे धब्बे हों, वह विषयुक्त होता है।

छींटी : जिस नीलम में लाल रंग के छोटे-छोटे बिन्दु दिखाई दें, वह पुत्र-सुख नष्ट करने वाला होता है।

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रत्न धारण: शुद्ध प्राण प्रतिष्ठित नीलम रत्न (Blue Sapphire Gemstone Benefits), जिस पर शनि ग्रह का तंत्रोक्त मन्त्र जाप किया हुआ हो, वह 7 रत्ती या 8 रत्ती का नीलम रत्न पंचधातु की अंगूठी में बनवाकर, शनिवार को सरसों के तेल में 5 घंटे भिगोकर, शाम को 4 बजे से रात्रि 8 बजे के बीच मध्यमा ऊँगली में धारण करे।

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नीलम के उपरत्न:

नीलम के दो उपरत्न पाये जाते हैं। जो व्यक्ति धनाभाव से नीलम नहीं खरीद सकते, उन्हें नीलम के उपरत्न खरीदकर धारण करने चाहिए।

नीली: यह नीले रंग की होती है, विन्ध्य तथा गंगा-यमुना के कछारों में यह मिल जाता है।

जमुनिया : इसका रंग पके जामुन-सा होता है, साथ ही यह हल्का गुलाबी, सफेद रंगों में भी पाया जाता है, यह नीलम रत्न (Blue Sapphire Gemstone Benefits) चिकना, साफ़, पारदर्शी होता है, हिमालय प्रदेश में यह अधिकतर पाया जाता है।

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