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पुखराज रत्न के लाभ/Yellow Sapphire Gemstone Benefits
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पुखराज रत्न के लाभ/Yellow Sapphire Gemstone Benefits

पुखराज रत्न के लाभ (Yellow Sapphire Gemstone Benefits): इस पुखराज रत्न (Yellow Sapphire Gemstone Benefits) को गुरु बृहस्पति का रत्न माना गया है, संस्कृत में इसे पुष्पराग, हिन्दी में पुखराज, फारसी में जर्द याकूत, अंग्रेजी भाषा में इसे Yellow Sapphire कहते हैं। यह श्रीलंका, उड़ीसा तथा बंगाल के अंचलों में, ब्रह्मपुत्र के आसपास और विंध्याचल तथा हिमालय में पाया जाता है। पुखराज रत्न के लाभ

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पुखराज की पहचान (Yellow Sapphire Gemstone Benefits):

हल्दी के रंग के समान होता है।

कई पुखराज हल्के पीले रंग के होते है।

कुछ तो स्वर्ण के रंग के समान होते है।

यह पुखराज रत्न (Yellow Sapphire Gemstone Benefits) देखने में चिकना, चमकदार, पारदर्शी होता है।

सफेद कपड़े पर पुखराज रखकर सूर्य की धूप में देखें तो, कपड़े पर पीली किरणें दिखाई देगी।

दूध में चौबीस घण्टे पुखराज रखने के बाद भी उसकी चमक क्षीण न पड़ें, तो असली पुखराज समझना चाहिए।

जहरीला जानवर जिस स्थान पर काटे, वहाँ पर पुखराज घिसकर लगायें और तुरन्त जहर मिट जाये तो सच्चा पुखराज समझना चाहिए।

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पुखराज रत्न के लाभ (Yellow Sapphire Gemstone Benefits):

पुखराज रत्नों (Yellow Sapphire Gemstone Benefits) का गुरु कहा जता है, जोकि बहुत लाभदायक रत्न है, इस रत्न को धारण करने से लक्ष्मी सदा उसके पास रहती है, जो इस रत्न को धारण करता है, उसे लक्ष्मी की कभी कमी नही होती, वह व्यक्ति अपने साथ तथा अपने साथ रहने वालोँ को लाभ देता है।

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अगर कोई विद्दार्थी पुखराज रत्न धारण करता है, तो उस पर सरस्वती की विशेष कृपा होती है, परीक्षा में सफलता प्राप्त करता जाता है, यदि कोई स्त्री इस रत्न को धारण करती है, शीघ्र अच्छे और उच्च घर में उसका विवाह होता है, पुत्र संतान उसे प्राप्त होती है, उसके वैवाहिक जीवन में कोई कमी नही रहती।

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यदि पुरुष इस पुखराज रत्न (Yellow Sapphire Gemstone Benefits) को धारण करता है, तो उसकी शीघ्र अच्छी नौकरी लगती है, प्रमोशन होता है, अगर व्यक्ति व्यापार करता है, तो उसका व्यापार बढ़ने लगता है, उसे सुख-सम्पति, धन लाभ, उच्चपद, वाहन, व्यापार, मान सम्मान, प्रतिष्ठा प्राप्त होने लगती है।

इस पुखराज रत्न (Yellow Sapphire Gemstone Benefits) को धारण करने से मोटापा,पेट की समस्या, बवासीर, पीलिया, गुर्दा, रक्त सम्बन्धी बिमारी आदि धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है।

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पुखराज के दोष (Yellow Sapphire Gemstone Benefits):

पुखराज में कई दोष पाए जाते है, पर पुखराज साफ, सुन्दर चमकदार, और चिकना लेकर ही धारण करे, निम्न में से कई दोष पुखराज में पाए जाते है, तो वह लाभ की जगह हानि देने वाला होता है।

चीरी : जिस पुखराज में खड़ी लकीर दिखाई दे, वह पुखराज बन्धु-बान्धवों में विरोध पैदा करता है।

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दूधक : सफेद झक्क पुखराज या दूधिये रंग का पुखराज शरीर में चोट करता है।

सुन्न : जिस पुखराज रत्न (Yellow Sapphire Gemstone Benefits) में चमक नहीं होती, उसे सुन्न कहते हैं। ऐसा पुखराज स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।

जाल : यदि पुखराज में जाल हो, तो वह पुखराज सन्तान पक्ष के लिए हानिकारक होता है।

श्याम : जिस पुखराज रत्न (Yellow Sapphire Gemstone Benefits) में काला धब्बा हो, वह पशुओं के लिए अनिष्टकारक है।

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श्वेत बिन्दु : सफेद छोटे-छोटे बिन्दुओं वाला पुखराज मृत्युकारक माना गया है।

रक्तिम : लाल छींटों से युक्त पुखराज धन-धान्य का नाश करने वाला होता है।

खड्डा : जिस पुखराज में खड्डा पाया जाय, वह लक्ष्मी को मिटाने वाला होता है।

दुरंगा : दो रंगों वाला पुखराज रोग-वृद्धि में सहायक होता है।

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रत्न धारण (Yellow Sapphire Gemstone Benefits): शुद्ध प्राण प्रतिष्ठित पुखराज रत्न (Yellow Sapphire Gemstone Benefits), जिस पर गुरु ग्रह का तंत्रोक्त मन्त्र जाप किया हुआ हो, वह 5 रत्ती या 7 रत्ती का लेकर सोने में अंगूठी बनवाकर, धारण करने से पहले 24 घंटे हल्दी के पानी में डुबोकर रखे, फिर प्रात: गुरुवार को 4:24 से 6 बजे के बीच या शाम को 5 से 7 बजे के बीच विष्णु जी को प्रणाम करके सीधे हाथ की अंगूठे के साथ वाली(तर्जनी)ऊँगली में धारण करे।

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पुखराज के उपरत्न:

पुखराज के पांच उपरत्न हैं, जो व्यक्ति पुखराज नहीं खरीद सकते, उन्हें उपरत्न धारण करना चाहिए।

सोनेला : यह चमकदार शुभ्र, सफेद रंग का तथा चिकना होता है, यह हिमालय में यह पाया जाता है।

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घिया: यह पुखराज रत्न (Yellow Sapphire Gemstone Benefits) ईरान में पाया जाता है, इसका रंग हल्का पीला होता है।

कैरू : यह बर्मा, चीन देशों में पाया जाता है, देखने में यह पीतल के रंग समान होता है, यह उपरान्त टूटने पर कपूर-सी सुगन्ध फैलाता है।

सोनल : इस उपरान्त में से सफेद-पीली मिश्रित किरणें निकलती दिखाई देती हैं। यह लंका, काबुल आदि की ओर अधिकतर पाया जाता है।

केसरी : केसर के समान रंग वाला यह उपरत्न लंका, गन्डक नदी के आस पास पाया जाता है। यह वजन में भारी तथा चमक में फीका होता है।

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