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सत्रह मुखी रुद्राक्ष के लाभ/17 Mukhi Rudraksha Benefits
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सत्रह मुखी रुद्राक्ष के लाभ/17 Mukhi Rudraksha Benefits

सत्रह मुखी रुद्राक्ष के लाभ (17 Mukhi Rudraksha Benefits): यह रुद्राक्ष विश्वदेव विश्वकर्मा का स्वरूप है। आकस्मिक धन प्राप्ति के लिए यह रुद्राक्ष उपयोगी है। यह एक दुर्लभ रूद्राक्ष है, जिस व्यक्ति के गले में यह रुद्राक्ष होता है,

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उसे जीवन में कई बार आकस्मिक धन लाभ होता है, भौतिक सम्पदा वाहन, मकान सुख आदि के क्षेत्र में ऐसा व्यक्ति पूर्ण सुख भोगता है। इस रूद्राक्ष के पहनने से सफलता, स्मृति ज्ञान, कुंडलिनी जागरण और तथा धन धान्य की वृद्धि होती है। यह रूद्राक्ष राम और सीता जी का प्रतीक भी माना गया है, जो जीवन में राजयोग का सुख प्रदान करता है।

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सत्रह मुखी रुद्राक्ष का आध्यात्मिक महत्व (17 Mukhi Rudraksha Benefits):

सत्रह मुखी रुद्राक्ष भगवान विश्वकर्मा का प्रतीक है, यह रूद्राक्ष धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है, वही दूसरी ओर यह मां कात्यायनी के रूप में देवी दुर्गा का प्रतिनिधित्व करता है, यह रूद्राक्ष सुख, सम्पत्ति, वाहन, आभूषण, तथा अनेक प्रकार के सुख संपत्ति प्रदान करने वाला है, इसके धारण करने से सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

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सत्रह मुखी रुद्राक्ष के स्वास्थ्य लाभ (17 Mukhi Rudraksha Benefits):

शारीरिक ऊर्जा की कमी से पीड़ित लोगों के लिए यह रुद्राक्ष बहुत उपयोगी है, इसके साथ ही जो महिलाएं इस रूद्राक्ष  को धारण करती हैं, उन्हें अच्छा वैवाहिक जीवन, बच्चे और दांपत्य सुख प्राप्त होता है, हिंदू वैदिक ग्रंथों के अनुसार सत्रह मुखी रूद्राक्ष जीवन की सभी कमियों को दूर करने वाला माना गया है।

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सत्रह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र (17 Mukhi Rudraksha Benefits):

प्रत्येक रुद्राक्ष को सिद्ध करने का एक विशिष्ट मन्त्र होता है, जिससे रूद्राक्ष सिद्ध होकर अपना पूरा प्रभाव दिखा सके, रुद्राक्ष पर बिना मंत्र जप किया या सिद्ध किये धारण करने से, पूर्ण फल प्राप्ति नही होती, सत्रह मुखी रुद्राक्ष भगवान विश्वकर्मा को प्रसन्न करने के लिए सिद्ध किया जाता है। निम्न मन्त्र का सवा लाख मंत्र जाप करने से सत्रह मुखी रुद्राक्ष सिद्ध होता है, यह मंत्र किसी योग्य ब्रहामण से जाप करवा कर धारण करे या किसी ऐसी संस्थान से खरीदें, जहां से मंत्र जाप और सिद्ध किया प्राप्त हो सके।

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विनियोग:

अस्य श्री ब्रह्मा मन्त्रस्य दक्षिणा मूर्ति ऋषि: पंक्तिश्छ्न्द: कार्तिकेय देवता, ऐं बीजं सौं शक्ति: क्लीं कीलकं अभीष्ट सिद्धयर्थे रुद्राक्ष धारणार्थे जपे विनियोग: ।

ध्यान :

हावभावविलासार्द्धनारिकं, भीषणार्धमथवा  महेश्वरम्  ।
दाशसोत्पलकपालशूलिनं, चिन्तये  जपविधौ विभूतये ॥

मन्त्र (17 Mukhi Rudraksha Benefits):

॥ ॐ ह्रां क्रां क्षौं स्वाहा ॥
॥ Om Hraam Kraam Kshrom Swaha॥

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